
बहराइच जमीन घोटाले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी से, डीएम सर्किल रेट 99637680 और विक्री क्रय 398550720 करोड़ में
बहराइच जमीन घोटाले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी से, डीएम सर्किल रेट 99637680 और विक्री क्रय 398550720 करोड़ में
वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। बहराइच (महसी) सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वा मुख्य न्यायाधीश प्रयागराज हाई कोर्ट एवं एनजीटी को दिए गए अपने शिकायती पत्र में अधिवक्ता भारत प्रसाद मिश्रा ने जनपद बहराइच के दीवानी न्यायालय के नए भवन निर्माण हेतु क्रय की गई जमीन विलेख संख्या 8789/2023 पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाकर प्रकरण के उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश में इंडो नेपाल बॉर्डर पर तराई के बीहड़ में स्थित जनपद बहराइच दीवानी न्यायालय के नए भवन निर्माण हेतु जनपद न्यायाधीश ने जिलाधिकारी बहराइच एवं उत्तर प्रदेश शासन को पत्र प्रेषित किया गया था जिस पर शासन की सहमति प्राप्त होने के पश्चात तत्कालीन जिलाधिकारी बहराइच द्वारा बहराइच नगर से लगे क्षेत्र में जमीन के उपलब्धता की पड़ताल की जा रही थी कि जिला प्रशासन बहराइच को सिविल कोर्ट बहराइच के नए भवन निर्माण लिए जमीन चाहिए इस बात की भनक एक ऐसे संगठन को लगी जो जमीनों की खरीद फरोख्त में हेरा फेरी करने का धंधा करने वाला संगठन है यह संगठन विभिन्न किस्म की कंपनियां बनाकर नाजायज जाल फैलाए हुए है ने तत्कालीन जिलाधिकारी बहराइच को अपनी जमीन जो सिसई हैदर तहसील महसी जनपद बहराइच में स्थित है का प्रस्ताव दिया किंतु यह जमीन जो सरयू नदी के किनारे का अधिकतम जल प्रभावित हिस्सा है जहां जुलाई से अक्टूबर तक जल भराव रहता है काफी नीचे की जमीन है जिस पर बहु मंजिला भवन निर्माण करना खतरनाक साबित होगा। इसके अलावा जमीन बिक्री करने में विक्रेता ने बड़ी जालसाजी को अंजाम दिया है शासन स्तर तक से नाजायज दबाव बनवाकर जमीन का सौदा तय कर दिया गया अर्थात जिस जमीन की सरकारी मालियत यानी जिलाधिकारी सर्किल रेट के अनुसार कुल कीमत 99637680 रुपए है को जाल साजी से 398550720 रुपये में विक्री करते हुए जनपद न्यायाधीश बहराइच द्वारा राज्यपाल के नाम क्रय करा दी गई 22/11/2023 को अतः इस विक्रय विलेख के जरिए विक्रेता गणों ने जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से पूरी न्यायपालिका को धोखा देकर बहुत बड़ा अनुचित लाभ अर्जित किया है जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराया जाना आवश्यक है।
जबकि उक्त जमीन के संबंध में अधिवक्ता भारत प्रसाद मिश्रा द्वारा दिनांक 16/01/2023 को एनजीटी ( राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ) भारत सरकार नई दिल्ली के पटल पर भी अपनी शिकायत भेजी जा चुकी है जिसमें जमीन का स्वरूप न बदलने व पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य में विस्तृत एवं उच्च स्तरीय जांच करवाने के निमत्त जिसकी जांच आख्या वन विभाग बहराइच द्वारा भेजी भी जा चुकी है राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को।
बताते चलें कि मुख्य न्याधीश प्रयागराज हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई शिकायत में अधिवक्ता भारत प्रसाद मिश्रा ने कहा कि जितने रुपए का भुगतान कंपनी विक्रेता गणों को किया गया है और निम्न स्तर की घटिया जमीन शासन द्वारा क्रय कराई गई है उतने ही रुपए में आसपास की बहुत अच्छी गुणवत्तापूर्ण जमीन क्रय की जा सकती थी अथवा अधिग्रहित की जा सकती थी ट्राई की गई जमीन क्योंकि नदी का कछार है नदी से सटा हुआ है जल भराव का क्षेत्र है इसलिए शासकीय भवन निर्माण के लिए कदापि उपयुक्त नहीं है, इसलिए उक्त क्रय विक्रय व सरकारी व सरकारी धन के दुरुपयोग करने में किन-किन जिम्मेदार अधिकारियों की सरपरस्ती विक्रेता गणों को मिली और उन अधिकारियों ने उक्त घटिया जमीन को क्रय करने में तत्परता दिखाई है की जांच किसी उच्च अधिकारी से करवाए जाने की मांग करते हुए साजिश में शामिल क्रेता विक्रेता और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने की मांग की है तथा क्रय की गई भूमि उपयोगी ना होने के कारण विक्रय विलेख संख्या 8789/2023 को शून्य घोषित करते हुए ब्याज सहित रकम शासन को वापस कराए जाने की मांग और जांच में दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध सुसंगत आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कराए जाने पर भी बल दिया है ।
हालांकि इस भ्रष्टाचार के प्रकरण पर योगी सरकार को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाते हुए प्रकरण का गंभीरता से संज्ञान लेकर उच्च स्तरीय जांच करवा कर दूध का दूध भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार करना चाहिए ताकि जनहानि और धनहानि दोनों को रोका जा सके और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाले दावे खोखले ना सावित होने इसलिए भी प्रकरण की सघन जांच आवश्यक ही नहीं आती तो अनिवार्य है मुख्यमंत्री के लिए।