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 हटवा राय प्राथमिक विद्यालय हुआ वीरान, प्रधानाध्यापक नहीं जाते विद्यालय भेजते हैं अपना हेल्पर

हटवा राय प्राथमिक विद्यालय हुआ वीरान, प्रधानाध्यापक नहीं जाते विद्यालय भेजते हैं अपना हेल्पर

 


हटवा राय प्राथमिक विद्यालय हुआ वीरान, प्रधानाध्यापक नहीं जाते विद्यालय भेजते हैं अपना हेल्पर

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। विकासखंड चित्ततौरा के ग्राम पंचायत हटवा राय में प्राथमिक विद्यालय है जो वीरान पड़ा है इस विद्यालय में दो शिक्षामित्र और एक प्रधानाध्यापक। की तैनाती है। लेकिन यह विद्यालय। लगभग वीरान ही पड़ा रहता है। इस विद्यालय की प्रधानाध्यापक एक-दो महीने में एक बार आती है। सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए इन्होंने अपना एक हेल्पररखा हुआ है। जो कभी कभार विद्यालय आता है वह भी पूरे टाइम शराब पिए रहता है। ऐसा गांव वालों का कहना है। और शिक्षामित्र जो उसी गांव का रहने वाला है वह 10:00 बजे आता है और 11:00 बजे विद्यालय बंद करके चला जाता है। ऐसी दशा में वहां की शिक्षा तो बेहाल है।

जबकि वह गांव पूरा दलित बस्ती का है। गांव वालों से बात करने पर पता चला कि उस विद्यालय में मिड डे मील का खाना तो वर्षों से नहीं पका है। जबकि सरकार के नियम अनुसार मिड डे मील का खाना रोजाना बनना चाहिए और बच्चों को खिलाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है। जब विद्यालय ही बंद रहता है तो बच्चे कहां से आएंगे? और आगे की प्रक्रिया कैसे चलेगी? शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं ऐसा लगता है। की बेसिक शिक्षा अधिकारी कभी किसी विद्यालय को चेक ही नहीं करते क्या शिक्षक की नियुक्ति इसलिए होती है? की वो अपने घर पर बैठा रहे? और कभी कभार रजिस्टर पर हाजिरी लगाने के लिए आए ऐसी दशा में शिक्षा का क्या हाल होगा? जहां सरकार की मंशा है। कि गरीबों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करके अपनी दशा को सुधारे जिन बच्चों के मां-बाप प्राइवेट स्कूलों की फीस जमा करने में सक्षम नहीं होते हैं। वह अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में भेजते हैं। लेकिन सरकारी विद्यालय वीरान पड़े हुए हैं। सिर्फ शिक्षक अपना वेतन लेते हैं। और शिक्षण कार्य भी नहीं करते सूत्रों से यह भी पता चला है। की प्रधानाध्यापक का हेल्पर जो विद्यालय आता है। वह मिड डे मील के राशन को बेचकर शराब पी लेता है।

विद्यालय को देखने पर यह पता चलता है। कि वह एक कबाड़खाना के रूप में? उस विद्यालय के रसोईघर कबाड़ की तरह पड़ा हुआ? विद्यालय के कई कमरे ऐसे देखने में है। कि जैसे महीनों से उसमें झाड़ू ना लगा हो शिक्षामित्र उसी गांव का रहने वाला है। तो गांव के लोग उसके दबाव में रहते हैं। और कुछ भी नहीं बोल पाते जब प्रधान से बात किया गया तो पता चला की प्रधान ने कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिकायत भी की है। लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई क्या बेसिक शिक्षा अधिकारी? इतने गैर जिम्मेदार हैं। कि जिले के विद्यालय का निरीक्षण भी नहीं कर सकते या उनकी चुप्पी किसी और तरफ इशारा करती है। क्या यह सब मिली भगत से हो रहा है? अगर नहीं तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जबकि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतने ईमानदार और सख्त स्वभाव के है जो भ्रष्टाचारियों पर त्वरित कार्रवाई भी करते हैं। और उनके निर्देश है। कि अगर कोई भ्रष्टाचार करता हुआ पकड़ा जाए तो प्रशासन उस ब्तक्ति पर कार्रवाई करें लेकिन यहां तो कुछ और देखने को मिला सरकार की मंशा को पलीता लगाए हुए हैं।

ऐसे ही चितौरा विकासखंड के कुछ और विद्यालय को भी देखा गया तो वहां के विद्यालय भी बंद मिले जबकि नियम यह है। की सुबह 7:30 से दोपहर 1:30 बजे तक विद्यालय खुला रहेगा। लेकिन। 11:30 बजे सभी विद्यालय बंद मिले जिन-जिन विद्यालय को देखा गया हटवा राय के अगल-बगल वाले यह तो भ्रष्टाचार की हद होगी की शिक्षक विद्यालय में जाता नहीं अपनी जगह पर अपना हेल्पर रखा हुआ है। और मिड डे मील का सारा राशन बेच लिया जाता है। गरीब बच्चों के पेट को भी काटा जा रहा है। शिक्षा को भी बर्बाद किया जा रहा है। क्या यह कोई नरेगा की मजदूरी है? की अपनी जगह दूसरे को भेज दिया जाए यह तो शिक्षा का मामला है। यहां तो योग्य व्यक्ति चाहिए जिसको सरकार ने नियुक्त किया है। उसकी योग्यता को परख कर लेकिन ऐसा नहीं है। क्या इस बार जिलाधिकारी बहराइच? और बेसिक शिक्षा अधिकारी बहराइच कोई कड़ा कदम उठाएंगे ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध जो अपनी मनमानी कर रहे हैं। और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।